Site icon Women's Christian College, Chennai – Grade A+ Autonomous institution

Hindenburg 2.0: खुलासे, आरोप और फिर शॉर्ट सेलिंग से हिंडनबर्ग की कमाई… सेबी पर खुलासों की आड़ में क्या खेल चल रहा?

अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट एक बार फिर चर्चा में है. हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडाणी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ और उनके पति की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया है. हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बिच और उनके पति धवल बुच ने आरोपों को खारिज किया है. बुच दंपति का कहना है कि कुछ भी छिपाया गया है. आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. वहीं, अडाणी ग्रुप ने आरोपों को आधारहीन बताया और इसे मुनाफा कमाने और बदनाम करने की साजिश करार दिया है. इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. इस पूरे मामले को लेकर सवाल उठ रहे हैं और एक्सपर्ट भी इसके पीछे विदेशी साजिश होने का संदेह बता रहे हैं. आइए समझते हैं कि सेबी पर खुलासों की आड़ में क्या खेल चल रहा है?

दरअसल, हिंडनबर्ग ने व्हिसिल ब्लोअर डॉक्यूमेंट्स के आधार पर आरोप लगाया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की मॉरिशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल’ डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है. इस कंपनी में गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर का निवेश किया है. इस पैसे का इस्तेमाल शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया है. ये रिपोर्ट करीब 106 पेज की है. इस मामले में सेबी और अडाणी ग्रुप ने भी प्रतिक्रिया दी है.

1. हिंडनबर्ग ने अब क्या आरोप लगाए हैं?

हिंडनबर्ग का आरोप है कि माधबी के सेबी चीफ बनने से 5 साल पहले 22 मार्च 2017 को उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल भेजा था और बताया था कि उनका और उनकी पत्नी का ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी में निवेश है. धवल ने आग्रह किया था कि इस फंड को उन्हें अकेले ऑपरेट करने दिया जाए. यह साफ है कि सेबी में अहम रोल नियुक्ति से पहले धवल इससे अपनी पत्नी का नाम हटवाना चाहते थे. हिंडनबर्ग का कहना है कि अडाणी ग्रुप पर जो खुलासे किए हैं, उसके हमारे पास सबूत हैं और 40 से ज्यादा स्वतंत्र मीडिया पड़ताल में भी यही बात सामने आई है. लेकिन सेबी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इन आरोपों की जांच की जिम्मेदारी भी सेबी चीफ के हाथों में था. इसके उलट सेबी ने 27 जून 2024 को हमें ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. ये नोटिस हमें अडाणी के शेयरों में ली गई शॉर्ट पॉजिशन लेने के कारण दिया गया.

2. अडाणी ग्रुप ने सफाई में क्या कहा?

हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट को अडाणी ग्रुप ने पूरी तरह खारिज किया है और यह भी कहा कि नए आरोप बदले की भावना से लगाए गए हैं. ग्रुप ने आरोपों को नुकसानदेह भी बताया है और कहा, हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं. हमारा ओवरसीज होल्डिंग स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है. इसमें सभी फैक्ट और डिटेल्स को नियमित रूप से कई सार्वजनिक दस्तावेजों में प्रदर्शित किया जाता है. अडाणी ग्रुप ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जिन लोगों के नामों का जिक्र किया गया है, उनके साथ हमारा कोई भी व्यावसायिक संबंध नहीं है. यह सिर्फ जानबूझकर बदनाम करने का प्रयास है.

अडाणी ग्रुप ने बयान में कहा कि इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और तत्थों को जोड़-तोड़ कर पेश किए गए हैं. हम समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए इन सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, जो सिर्फ हमें बदनाम करने वाले दावों की रि-साइक्लिंग है. अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि पहले लगाए गए इन सभी आरोपों की गहन जांच की जा चुकी है जो पूरी तरह से निराधार साबित हुए हैं. इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में पहले ही खारिज कर दिया है. ग्रुप ने इन आरोपों को तथ्य और कानून की उपेक्षा वाला करार दिया. 

3. सेबी चीफ ने क्या तर्क दिए?

बुच दंपति ने आरोपों को निराधार बताया है और इसे SEBI की विश्वसनीयता पर हमला और चेयरपर्सन के चरित्र हनन की कोशिश करने का आरोप लगाया है. सेबी चीफ का कहना है कि हिंडनबर्ग जिस विदेशी फंड में निवेश का आरोप लगा रही है,  वो साल 2015 में किया गया था. सेबी चीफ का कहना है कि हिंडनबर्ग ने भारत में कई तरह के नियमों का उल्लंघनों किया है, इसे लेकर उसे नोटिस भेजा गया है. उसने जवाब देने के बजाय SEBI की विश्वसनीयता पर ही हमला करने की कोशिश की है. फंड में निवेश तब किया गया था, जब प्राइवेट सिटिजन थे. हम उस समय के अपने डॉक्यूमेंट्स किसी भी अधिकारी के सामने पेश कर सकते हैं. सभी खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिए जा चुके हैं. हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है.

4. एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

एक्टपर्ट का कहना है कि हिंडनबर्ग के आरोपों के पीछे लाभ हासिल किए जाने की मंशा छिपी हो सकती है. चूंकि, पिछली रिपोर्ट से मार्केट में बड़े स्तर पर उथल-पुथल देखने को मिली थी. ऐसे में नई रिपोर्ट से भी मार्केट को प्रभावित किया जा सकता है. कुछ समय के लिए शेयर मार्केट और अडाणी स्टॉक्स पर असर पड़ सकता है. हालांकि, लंबे समय तक बड़े इंपैक्ट या रिस्क नहीं है. अगर गिरावत आती है तो निवेशक अडाणी स्टॉक्स खरीदने पर विचार कर सकते हैं.

एक्सपर्ट का कहना था कि रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए हैं, उससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इनके जवाब सामने आने से ना सिर्फ रेगुलेटरी सिस्टम की साख और मजबूत होगी, बल्कि बाजार में भी असर देखने को मिल सकता है. हालांकि, आरोपों से अडाणी ग्रुप से स्टॉक्स और शेयर बाजार में बड़ा जोखिम पैदा होने की संभावना नहीं है. दरअसल, एक्सपर्ट का तर्क है कि हिंडनबर्ग ने सालभर पहले जो आरोप लगाए थे, उससे उथल-पुथल मची और मार्केट को भारी नुकसान हुआ. लेकिन, बाद में क्लीन चिट मिली तो मार्केट में फिर तेजी लौटी. ऐसे में संभावना है कि इस बार ज्यादातर निवेशक इस रिपोर्ट को तवज्जो नहीं देंगे. कुछ समय के लिए सतर्कता की जरूरत हो सकती है.

5. हिंडनबर्ग का ‘हिडन’ मकसद क्या हो सकता है?

हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है, जो इस तरह के आरोप लगाकर बाजार में शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफा कमाने का काम करती है. इस कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन हैं. कंपनी का काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च के जरिए कंपनी पता लगाती है कि क्या स्टॉक मार्केट में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है? इसे लेकर रिसर्च रिपोर्ट जारी करती है. इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी है. कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और इसके जरिए अरबों रुपये की कमाई करती है. शॉर्ट सेलिंग एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है. इसमें कोई किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदी जाती है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है. 

6. शॉर्ट सेलिंग का पूरा खेल क्या है?

ये कंपनी शॉर्ट सेलर रूप में मोटी कमाई करती है. शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशक उन स्टॉक्स को उधार लेते हैं जिन्हें वे उम्मीद करते हैं कि उनकी कीमत गिर जाएगी और फिर उन्हें बेच देते हैं. जब स्टॉक की कीमत गिर जाती है तो वे उन्हें वापस खरीदते हैं और उधारदाता को लौटाते हैं, जिससे उन्हें लाभ होता है. उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा. इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है.

ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं. जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है. गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है. इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है. इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है.

7. क्या शॉर्ट सेलिंग से हिंडनबर्न कमाई की कोशिश कर रहा है?

हिंडनबर्ग रिसर्च अक्सर शॉर्ट सेलिंग की रणनीति का उपयोग करती है. हिंडनबर्ग अपने शोध के आधार पर अक्सर कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाता है, जैसे कि वित्तीय अनियमितताएं, फ्रॉड या अन्य प्रकार के दुरुपयोग. इन आरोपों के बाद अक्सर उन कंपनियों के स्टॉक्स की कीमत में गिरावट आती है. यदि हिंडनबर्ग ने पहले से ही उस कंपनी के स्टॉक्स पर शॉर्ट सेलिंग की होती है तो उन्हें उस गिरावट से वित्तीय लाभ होता है. हालांकि, यह प्रक्रिया काफी विवादास्पद हो सकती है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स को उनके शोध और रिपोर्टिंग की निष्पक्षता पर सवालों का सामना करना पड़ता है.

कुछ आलोचकों का मानना है कि ऐसी रिपोर्ट्स का मुख्य उद्देश्य स्टॉक की कीमतों को प्रभावित करना और शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमाना हो सकता है. इसलिए जब हिंडनबर्ग किसी कंपनी के बारे में रिपोर्ट जारी करता है तो सवाल यह उठता है कि क्या वे वास्तव में शॉर्ट सेलिंग से लाभ कमाने के उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं. लेकिन उनकी रिपोर्ट्स को लेकर यह भी कहा जाता है कि वे व्यापक शोध और साक्ष्य पर आधारित होते हैं.

8. खुलासों की आड़ में क्या मार्केट में खेल चल रहा है?

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट्स के बाद भारतीय शेयर बाजार में कुछ कंपनियों के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई है. इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए विभिन्न मार्केट प्लेयर्स शॉर्ट सेलिंग और अन्य वित्तीय रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण शेयरों की कीमतें गिरने पर कुछ निवेशक शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमाने की कोशिश कर सकते हैं. इसके अलावा मार्केट में अनिश्चितता के कारण कुछ निवेशक पैनिक सेलिंग करते हैं, जिससे शेयरों की कीमतें और भी गिर सकती हैं, जिसका लाभ शॉर्ट सेलर्स उठा सकते हैं. 

9. SEBI ने निवेशकों से क्या कहा?

सेबी ने निवेशकों को शांति से काम लेने और ऐसी रिपोटर्स पर रिएक्शन से पहले पूरी पड़ताल करने की सलाह दी है. अडाणी ग्रुप के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उन सभी की जांच की गई है. 26 मामलों में सिर्फ एक ही मामला बचा है. दरअसल, SEBI (Securities and Exchange Board of India) की भूमिका यहां महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उसे यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी मार्केट प्लेयर इन हालातों का गलत फायदा ना उठा सके. SEBI इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखता है और अगर किसी प्रकार की अनुचित गतिविधि का पता चलता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है.

मार्केट में इस प्रकार के खेल अक्सर तब सामने आते हैं जब किसी कंपनी के खिलाफ बड़े आरोप लगते हैं और निवेशक अनिश्चितता में घिर जाते हैं. इस तरह की परिस्थितियों में शॉर्ट सेलर्स और अन्य ट्रेडर्स जो मार्केट की गिरावट पर दांव लगाते हैं, वे बड़ी मात्रा में लाभ कमा सकते हैं. इसीलिए SEBI की निगरानी और जांच आवश्यक हो जाती है, ताकि बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी प्रकार की गलत गतिविधियों को रोका जा सके.

10. 2023 में क्या हुआ था?

इससे पहले हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. इन खुलासों की वजह से भारतीय मार्केट बड़े स्तर पर प्रभावित हो गया था. अडाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. अडाणी ग्रुप को 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था. जनवरी 2023 में भी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट ने अडाणी ग्रुप पर शेयर भाव मैनुपुलेट करने और उसमें हेराफेरी का आरोप लगाया था. इसमें अडाणी ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन में गिरावट आई थी. अडाणी ग्रुप को अपना एफपीओ वापस लेना पड़ा था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच सौंपी.

SEBI ने अडाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी थी. सेबी का कहना है कि हमने 26 मामलों में 25 की जांच पूरी कर ली है. इस मामले में सेबी ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. हालांकि, अब तक हिंडनबर्ग की तरफ से इस नोटिस का जवाब नहीं दिया गया है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विवाद क्यों हो रहा है?

जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड के गंभीर आरोप लगाए थे. इस रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. हिंडनबर्ग ने SEBI की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा, SEBI ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ उचित और समय पर कार्रवाई नहीं की. यह भी आरोप लगाया गया कि SEBI अडाणी ग्रुप की कथित वित्तीय अनियमितताओं की निगरानी और जांच में विफल रहा. रिसर्च रिपोर्ट पर विदेशी संस्थागत निवेशकों की भूमिका पर सवाल हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले कुछ विदेशी संस्थागत निवेशक कथित तौर पर अपारदर्शी हैं और उनका संबंध ग्रुप के साथ जुड़ा हुआ हो सकता .। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि SEBI ने इन संस्थागत निवेशकों की गतिविधियों की पर्याप्त जांच नहीं की.

चूंकि SEB भारतीय शेयर बाजार की नियामक संस्था है, उस पर ऐसे आरोप लगने से उसकी निष्पक्षता और कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. SEBI पर यह जिम्मेदारी होती है कि वो बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखे, लेकिन हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक दुनिया में भी हलचल मचा दी है. विपक्षी दलों ने SEBI की निष्पक्षता और सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. निवेशकों की भी चिंताएं हैं. हिंडनबर्ग के आरोपों और SEBI के नए कनेक्शन से निवेशकों में अनिश्चितता और अविश्वास बढ़ सकता है, जिससे शेयर बाजार में अस्थिरता आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. इन आरोपों के बाद SEBI और अन्य संबंधित एजेंसियों के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे इन मुद्दों की पूरी जांच करें और निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए उचित कदम उठाएं.

सेबी क्या है?

SEBI की स्थापना 1988 में की गई थी और 1992 में एक वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय पूंजी बाजार को नियंत्रित करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है. SEBI का मुख्य कार्य शेयर बाजारों और प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग के लिए नियम और विनियम बनाना है. यह सुनिश्चित करता है कि सभी बाजार सहभागियों द्वारा नियमों का पालन हो रहा है. SEBI के जिम्मे निवेशकों के हितों की रक्षा करना भी है. यह वित्तीय धोखाधड़ी, बाजार में हेरफेर, और अन्य अनैतिक प्रथाओं को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखता है. SEBI बाजार के विकास को प्रोत्साहित करने और भारतीय पूंजी बाजार को और अधिक सशक्त और विश्वसनीय बनाने के लिए नीतियों और योजनाओं का विकास करता है. SEBI के पास यह अधिकार है कि वह नियमों के उल्लंघन के मामलों में कानूनी कार्रवाई कर सके. यह जुर्माने, प्रतिबंध और अन्य दंडात्मक उपायों का इस्तेमाल कर सकता है.

SEBI के संगठनात्मक ढांचे में एक अध्यक्ष और अन्य बोर्ड सदस्य शामिल होते हैं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है. SEBI के मुख्यालय मुंबई में स्थित है और इसके क्षेत्रीय कार्यालय देश के विभिन्न हिस्सों में हैं. SEBI को भारतीय संसद के द्वारा Securities and Exchange Board of India Act, 1992 के तहत अधिकार दिए गए हैं. इस कानून के अंतर्गत SEBI को नियामक, प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार दिए गए हैं ताकि वह अपने उद्देश्यों को पूरा कर सके. SEBI भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शेयर बाजार की पारदर्शिता, दक्षता, और स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

विपक्ष क्या कह रहा?

विपक्ष ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले में JPC जांच की मांग की है. खड़गे का कहना था कि अडाणी ग्रुप की जांच में हितों के सभी टकरावों को सरकार को तुरंत दूर करना चाहिए. खड़गे का कहना था कि जनवरी 2023 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद सेबी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगी अडाणी को सुप्रीम कोर्ट में क्लीन चिट दे दी थी. अब सेबी प्रमुख से जुड़े एक लेन-देन के बारे में नए आरोप सामने आए हैं. मध्यम वर्ग के छोटे और मध्यम निवेशकों को संरक्षण दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि वे अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं. इस बड़े स्कैम की जांच जेपीसी से कराना जरूरी है.
 
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, सेबी की पवित्रता प्रभावित हुई है. संस्था की पवित्रता के साथ समझौता हुआ है. सेबी चीफ ने अब तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? निवेशकों की मोटी कमाई डूब जाती है तो कौन उसका जिम्मेदार होगा? क्या सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेगा? AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, सेबी चीफ और उनके पति का पैसा मुखौटा कंपनियों में निवेश किया गया था. ये तथ्य कोर्ट से क्यों छिपाए गए हैं. टीएमसी नेता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, बुच दंपति को देश छोड़ने से रोकने के लिए सभी एयरपोर्ट पर लुकआउट नोटिस जारी किया जाना चाहिए.

बीजेपी ने क्या कहा है?

बीजेपी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे मार्केट रेगुलेटर को बदनाम करने की साजिश बताया है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा करने की साजिश में हिस्सेदार होने का भी आरोप लगाया. त्रिवेदी का कहना था कि विदेशी धरती से आई ऐसी कई रिपोर्ट संसद सत्रों से ठीक पहले ही जारी होती हैं. विपक्षी नेताओं को पता था कि ये रिपोर्ट सत्र के दौरान आने वाली है. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी कहा कि देश में वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने की साजिश रची गई है. हिंडनबर्ग की कांग्रेस के साथ स्पष्ट साझेदारी है. इनका मकसद और लक्ष्य एक है. कांग्रेस की मदद से वैश्विक ताकतें भारत की प्रगति को धीमा करना चाहती हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे.

Source (PTI) (NDTV) (HINDUSTANTIMES)

, ,
ADVERTISEMENT
Exit mobile version