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इजरायल ने जब युगांडा जाकर प्लेन हाइजैक में बंधकों को छुड़ाया, नहीं रिहा किए थे आतंकी

27 जून 1976, दिन रविवार

एयर फ्रांस की फ्लाइट 139 ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए उड़ान भरी. 248 यात्रियों से भरा विमान ग्रीस की राजधानी एथेंस में कुछ देर रुका और फिर बादलों के बीच से होता हुआ अपनी मंजिल पेरिस की तरफ बढ़ने लगा. 

विमान ने अपनी गति पकड़ी ही थी कि यात्रियों के बीच से चार हथियारबंद लोग उठ खड़े हुए. इनमें से दो, विल्फ्रेड बोस और ब्रिजेत कुलमान जर्मनी के आतंकवादी समूह जर्मन Baadar-Meinhof से थे और दो ‘पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन’ से संबंध रखने वाले फिलिस्तीनी आतंकी थे.

विल्फ्रेड बोस के एक हाथ में रिवॉल्वर और दूसरे हाथ में हथगोला था. ब्रिजेत कुलमान, जो कि एक महिला थी, उसने अपने हैंड ग्रेनेड की पिन निकाली और यात्रियों को धमकी देते हुए कहा कि किसी ने चालाकी करने की कोशिश की तो वो प्लेन में ब्लास्ट कर देगी. इसके बाद विल्फ्रेड ब्रिजेत के साथ कॉकपिट की तरफ बढ़ा और उसने प्लेन को अपने कब्जे में ले लिया.

विमान हाइजैक हो चुका था! हाइजैकर्स के आदेश पर विमान अब पेरिस के बजाए लीबिया की तरफ बढ़ने लगा. हाइजैक हुआ विमाम लीबिया के बेनगाजी शहर में 7 घंटे रुका और उसमें ईंधन भरा गया. आतंकियों ने पायलट को आदेश दिया कि वो विमान को युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट ले चले. 

आजाद होने के लिए बंधक ने लगा दी जान की बाजी

इसी बीच एक महिला ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया. हाइजैकर्स जब महिला के पास गए तब उन्हें बताया गया कि वो प्रेग्नेंट हैं, उसका मिसकैरिज हो गया है. इसे देखते हुए हाइजैकर्स ने महिला को बेनगाजी में ही उतार दिया ताकि उसका इलाज हो सके. महिला अब हाइजैकर्स की कैद से आजाद थी.

हाइजैकर्स की कैद से आजाद हुई महिला ब्रिटेन में जन्मीं पेट्रिसिया मार्टल थीं जो इजरायल में रह रही थीं. हाइजैक के दौरान उनका मिसकैरिज नहीं हुआ था बल्कि उन्होंने आजाद होने के लिए प्रेग्नेंसी और मिसकैरिज की झूठी बात फैलाई.

बाद में महिला में बताया था कि वो अपनी मां के फ्यूनरल में जा रही थीं और वहां पहुंचने के लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी. उन्होंने कहा था, ‘मैंने जो किया वो खतरे से भरा था लेकिन मैंने कर दिखाया.’

‘युगांडा के कसाई’ ने किया आतंकियों का स्वागत

उड़ान भरने के 24 घंटे से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद 28 जून को 3:15 बजे विमान ने युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट पर लैंड किया. यहां आतंकियों का स्वागत युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन ने किया. अमीन इतना खूंखार था कि उसे ‘युगांडा का कसाई’ नाम दिया गया था.

एक वक्त अमीन इजरायल का करीब माना जाता था. वो इजरायल की मदद से ही सत्ता में आया था. लेकिन पड़ोसी देश तंजानिया से युद्ध में इजरायल ने उसका साथ नहीं दिया जिससे वो इजरायल के खिलाफ हो गया था. उसने अपने देश में रह रहे इजरायलियों को बाहर निकालना शुरू किया और कई इजरायलियों को मौत के घाट उतार दिया था.

ऐसे में जब फिलिस्तीनी और जर्मन आतंकी अधिकतर इजरायली नागरिकों से भरे विमान को हाइजैक कर युगांडा ले आए तब अमीन बेहद खुश हुआ. उसके लिए प्लेन हाइजैक इजरायल से अपनी दुश्मनी निकालने का सुनहरा मौका था. उसने एंतेबे एयरपोर्ट के चप्पे-चप्पे पर अपने सैनिक तैनात कर दिए.

इजरायली यहूदी बने बंधक, बाकी सब आजाद

Jewish Virtual Library के मुताबिक, प्लेन के लैंड करते ही आतंकियों ने इजरायली यहूदी बंधकों को बाकी के बंधकों से अलग करना शुरू किया. इसी बीच आतंकियों के तीन और साथी उनके साथ आ मिले. 

इसे याद करते हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अवि मूर कहते हैं, ‘वो जिस प्रक्रिया से बंधकों को साथ रखने और आजाद करने का फैसला कर रहे थे, उसे याद करते हुए मुझे आज भी गहरी पीड़ा हो रही है. वो लोगों को ऐसे ही चुन रहे थे जैसे नाजी यहूदियों को चुना करते थे कि कौन काम पर जाएगा और किसे गैस चैंबर में भेजकर मारा जाएगा.’

हाइजैकर्स ने यहूदियों को अलग करने के बाद भी संदेह के आधार पर कुछ लोगों को इजरायली समूह में रखा. वहीं, तीन लोग, जिन्हें आतंकियों ने अलग नहीं किया था, कथित तौर पर अपनी मर्जी से इजरायली बंधकों में शामिल हो गए थे. बंधकों को एयरपोर्ट पर ही बेकार पड़ी एक बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया.

बंधकों से कई बार मिलने आया अमीन

इस बीच ईदी अमीन कई बार बंधकों से मिलने आया. वो जब भी आता, बंधकों को अपडेट करता कि उन्हें आजाद कराने के लिए बातचीत चल रही है.

30 जून को, हाइजैकर्स ने 48 गैर इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया गया और उन्हें पेरिस ले जाया गया. इजरायल की खुफिया एजेंसी ने रिहा किए गए हर बंधक से बात की और हाइजैक के बारे में हरसंभव जानकारी जुटाने की कोशिश की.

रिहा किए गए बंधकों में मुख्य रूप से बुजुर्ग, बीमार यात्री और माएं और बच्चे थे. एंतेबे हाइजैक पर किताब लिखने वाले इतिहासकार Saul David ने लिखा है कि रिहा किए गए यात्रियों में कुछ यहूदी भी शामिल थे.

वो कहते हैं, ‘यह एक तथ्य है कि हाइजैकर्स ने कई फ्रांसीसी यहूदियों को रिहा किया था. मैंने उनमें से कइयों का इंटरव्यू किया है और उन्होंने मुझे बताया कि कई यहूदियों को रिहा किया गया. हाइजैकर्स ने केवल इजरायली यहूदियों को बंधक रखा, दूसरे देशों के कई यहूदियों को उन्होंने छोड़ दिया था.’

अब हाइजैकर्स के पास 94 यात्री जिनमें अधिकतर इजरायली यहूदी थे, बंधक के रूप में रह गए. इनमें 12 सदस्यों वाला एयर फ्रांस का क्रू भी शामिल था.

हाइजैकर्स का मकसद क्या?

जर्मन आंतकियों के फिलिस्तीनी आतंकियों के साथ मिलकर इस हाइजैक का मकसद था- उनके 54 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई जिनमें से 40 इजरायल की जेलों में बंद थे. इसके साथ ही उन्होंने प्लेन को छोड़ने के लिए 50 लाख डॉलर की मांग की.

हाइजैकर्स ने मांग रखी थी कि बंधकों के बदले में उनके सभी साथियों को रिहा किया जाए. हाइजैकर्स ने इजरायली सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया. उन्होंने इजरायल की तत्कालीन यित्जाक राबिन सरकार को धमकी देते हुए कहा कि 48 घंटे के अंदर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वो एक-एक कर बंधकों का कत्ल शुरू कर देंगे. 

इजरायली सरकार पर बढ़ता प्रेशर

हाइजैकर्स ने इजरायली सरकार को बहुत कम वक्त दिया. राबिन सरकार को न तो हाइजैक की हर छोटी जानकारी पता थी और न ही एंतेबे एयरपोर्ट के बारे में वो जानते थे. लेकिन ये तय था कि सबकुछ जल्दी करना है और किसी भी हाल में बंधकों को देश वापस लाना है.

इधर, बंधकों के परिजन सड़कों पर उतर आए थे और सरकार पर लगातार दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे. बंधकों के परिजन मांग कर रहे थे कि सरकार आतंकियों से बातचीत करे ताकि उनके अपनों की रिहाई हो सके.

बंधकों की रिहाई के लिए हाइजैकर्स की बात मान ली जाए या फिर कोई ऑपरेशन चलाकर उन्हें आजाद किया जाए, इसे लेकर इजरायली सरकार के अंदर भी मतभेद थे.

तत्कालीन प्रधानमंत्री हाइजैकर्स की मांगों को पूरा करने की बात पर सहमत थे लेकिन उनके रक्षा मंत्री शिमोन पेरीज को डर था कि इससे आतंकवाद को और बढ़ावा मिलेगा. पेरीज इजरायली सेना आईडीएफ के एलिट फोर्स ‘सायरेत मतकल’ के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू (इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई) से मिल चुके थे और योनातन ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उनका ऑपरेशन सफल रहेगा.

4000 किलोमीटर दूर दुश्मन देश में रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग असंभव 

इजरायली अधिकारियों ने जितना संभव था, उतनी तेजी से हाइजैक की जानकारी जुटानी शुरू कर दी. पता चला कि एंतेबे इजरायल से 4000 किलोमीटर दूर है और इतनी दूर जाकर दुश्मन देश में कोई ऑपरेशन चलाना लगभग असंभव था.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अवि मूर याद करते हैं, ‘हमारे साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि हमें मिशन के दौरान हाइजैक के बारे में बहुत कम जानकारी थी और जो कुछ पता था उसका कोई विश्वसनीय स्रोत नहीं था. तिस पर हाइजैकर्स ने हमें एक अल्टीमेटम दे रखा था.’

इसी बीच इजरायली खुफिया एजंसी मोसाद के एक एंजेट ने कीनिया से एक विमान किराए पर लिया और पड़ोसी एंतेबे में उड़ान भरकर वहां की तस्वीरें लीं.

तस्वीरों से मोसाद को बहुत मदद मिली क्योंकि इनसे पता चला कि एंतेबे एयरपोर्ट के जिस टर्मिनल में बंधकों को रखा गया है, उसे इजरायली कंपनी ने बनाया है. ये निर्माण तब हुआ था जब इजरायल के साथ युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन के संबंध अच्छे थे.

एंतेबे एयरपोर्ट का वो हिस्सा जहां बंधकों को रखा गया था

ये पता चलते ही मोसाद ने टर्मिनल बनाने वाली इजरायली कंपनी से संपर्क किया और कंपनी ने टर्मिनल का नक्शा खुफिया एजेंसी को सौंप दिया. मंगलवार 29 जून तक इजरायल की सेना आईडीएफ के पास रेस्क्यू के लिए पर्याप्त जानकारी आ चुकी थी.

बुधवार 30 जून की आधी रात को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अवि मूर के घर पर इजरायली एयर फोर्स के उनके एक दोस्त ने दस्तक दी. वो याद करते हैं, ‘मेरी पत्नी ने दरवाजा खोला. मेरे दोस्त ने उनसे कहा कि आप अपने कमरे में चले जाएं और दरवाजा बंद कर लें. सुबह के 6 बजते-बजते मैं सायरेत मतकल (Sayeret Matkal) के साथ मिशन में था.’

इधर, हाइजैकर्स का दिया अल्टीमेटम खत्म होने से पहले इजरायली सरकार ने 1 जुलाई को घोषणा की कि वह बातचीत के लिए तैयार है. इजरायली सरकार बातचीत का बहाना कर अपने मिशन की प्लानिंग के लिए अधिक से अधिक समय चुराना चाहती थी और वो अपने मकसद में कामयाब भी हुई.

इजरायली सरकार की घोषणा के बाद आतंकियों ने डेडलाइन को रविवार 4 जुलाई की दोपहर तक बढ़ा दिया और इसी बीच 100 अन्य बंधकों की रिहाई भी कर दी गई. हाइजैकर्स के पास 12 क्रू मेंबर समेत 94 इजरायली यहूदी रह गए थे.

इजरायली सरकार ने अपने सेवानिवृत्त आईडीएफ ऑफिसर बरुच बार-लेव से कहा कि वो ईदी अमीन से संपर्क करें और उससे आग्रह करें कि वो बंधकों को रिहाई में मदद करे. लेव सालों से अमीन को जानते थे इसलिए उन्होंने युगांडाई तानाशाह को फोन लगाया लेकिन उसने मदद से साफ इनकार कर दिया.

इसी बीच ईदी अमीन किसी बैठक के सिलसिले में मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई चला गया. ये खबर मिलते ही इजरायल ने राहत की सांस ली क्योंकि मिशन की प्लानिंग के लिए इजरायली सैनिकों को और अधिक वक्त मिल गया था.

आईडीएफ ने ‘ऑपरेशन थंडरबोल्ट’ जिसे ‘ऑपरेशन एंतेबे’ भी कहा जाता है, के लिए सायरेत मतकल के 200 सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को चुना. प्लान बना कि इजरायली सैनिक हवाई मार्ग से एंतेबे जाएंगे और हाइजैकर्स, युगांडाई सैनिकों के बीच से बंधकों को छुड़ा लाएंगे.

ऑपरेशन थंडरबोल्ट की सफलता के बाद इजरायली कमांडर्स की तस्वीर

इजरायली सैनिकों ने हवाई मार्ग से एंतेबे जाने का प्लान इसलिए भी बनाया ताकि युगांडाई सैनिकों को किसी तरह का शक न हो. तय हुआ कि विमान से एंतेबे पहुंचा जाएगा जिससे युगांडाई सैनिकों को लगेगा कि उनके राष्ट्रपति ईदी अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैं.

‘जो इजरायल ने कर दिखाया, कोई सोच भी नहीं सकता था’

मिशन में इजरायल के पास तमाम चुनौतियां थीं लेकिन उसे एक बढ़त भी थी. इजरायल के तत्कालीन ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन, जिन्होंने 1 जुलाई को रेस्क्यू प्लान पेश किया था, वो बताते हैं, ‘हथियारबंद आतंकियों के बीच आपके 100 लोग एक छोटे कमरे में हैं. पलक झपकते ही आतंकी आपके चिथड़े उड़ा सकते थे.’

उन्होंने आगे बताया था, ‘लेकिन सात घंटे की उड़ान के बाद वहां जाना, सुरक्षित लैंड करना, टर्मिनल तक गाड़ी से जाना और फिर बंधकों वाली बिल्डिंग में जाकर आतंकियों के गोली चलाने से पहले बंधकों को छुड़ा लेना… कोई सोच भी नहीं सकता था कि इजरायल ऐसा कर सकता है. और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत बनीं.’

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई बने फील्ड ऑपरेशन इंचार्ज

इजरायल के लिए एंतेबे तक जाना सबसे बड़ी परेशानी थी. कोई भी देश इजरायली विमानों को अपनी हवाई सीमा में प्रवेश कर फिलिस्तीनियों या फिर युगांडा की सरकार को नाराज नहीं करना चाहता था. इजरायली विमानों को भी एंतेबे तक पहुंचने के लिए रिफ्यूलिंग की जरूरत थी.

बड़ी मान-मनव्वल के बाद केन्या के तत्कालीन कृषि मंत्री ब्रुस मैकेंजी मदद को तैयार हुए और उन्होंने तब के राष्ट्रपति केन्याट्टा को इस बात के लिए मना लिया कि एंतेबे जाने के लिए इजरायली सेना केन्या के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करेगी और इजरायली विमानों की रिफ्यूलिंग भी की जाएगी.

ब्रिगेडियर जनरल शॉमरॉन पर मिशन की जिम्मेदारी और योनाथन नेतन्याहू फील्ड ऑपरेशन के इंचार्ज बनाए गए थे.

बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई योनाथन नेतन्याहू

ऑपरेशन थंडरबोल्ट

4 जुलाई 13:20, इजरायल के बेहतरीन कमांडोज का ऑपरेशन थंडरबोल्ट शुरू हुआ. इजरायल के साइनाइ बेस से चार हरक्यूलिस विमान सायरेत मतकल के एलिट फोर्सेज को लेकर उड़ चले. एक विमान में दो लैंड रोवर जीप और एक मर्सिडीज कार भी थी. यह मर्सिडीज वैसी ही थी जिसे ईदी अमीन इस्तेमाल करते थे.

प्लान ये था कि विमान के रनवे पर लैंडिंग के बाद सैनिक मर्सिडीज और जीप में बंधकों को रखे गए टर्मिनल तक जाएंगे. मर्सिडीज देख युगांडा के सैनिकों को लगेगा कि ईदी विदेश यात्रा से लौट रहे हैं और पीछे उनका कुनबा चल रहा है.

इजरायली कमांडो को एंतेबे तक पहुंचने के लिए लाल सागर पार करना था जो उनके लिए बड़ी चुनौती थी. उन्हें डर था कि विमान सऊदी अरब, मिस्र जैसे देशों के रडार पर आ जाएंगे और उनका मिशन फेल हो सकता है. रडार से बचने के लिए इजरायली कमांडो ने लाल सागर पार करते वक्त सिर्फ 30 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरी. 

इजरायली कमांडो एक भी ऐसी गलती नहीं करना चाहते थे जिससे वो पकड़े जाएं. इसलिए उन्होंने एंतेबे पहुंचने से पहले ही युगांडाई सैनिकों जैसी वर्दी पहन ली. 

एंटेबे पहुंचकर इजरायली कमांडो को लगा पहला झटका

लगातार सात घंटों की उड़ान के बाद, आधी रात से ठीक एक मिनट पहले इजरायल के पहले विमान ने एंतेबे एयरपोर्ट पर लैंड किया.

लैंड करते ही विमान काली मर्सिडीज और दो लैंड रोवर जीप में सवार होकर नेतन्याहू यूनिट के 30 कमांडो के साथ निकले और बंधकों को रखे गए टर्मिनल की तरफ बढ़ने लगे.

लेकिन इसी बीच उन्हें दो युगांडाई सैनिकों ने रोक लिया. दरअसल, ईदी अमीन जो पहले काली मर्सिडीज से चलते थे, कुछ समय पहले उन्होंने सफेद मर्सिडीज ले ली थी और उनके काफिले से काली मर्सिडीज हटा दी गई थी.

इजरायली कमांडो का काफिला देखते ही युगांडा के सैनिक सतर्क हो गए. यह देख योनाथन नेतन्याहू ने ड्राइवर को आदेश दिया, ‘बत्ती बुझाओ, हम इनका काम तमाम करते हैं.’

नेतन्याहू के आदेश पर एक साइलेंसर लगी गोली युगांडाई सैनिक को लगी. इसी बीच जीप में सवार एक कमांडो ने बिना साइलेंसर वाली बंदूक से युगांडाई सैनिक पर फायर कर दिया. इस फायर के साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में मोसाद का सरप्राइज एलिमेंट खत्म हो चुका था.

आतंकियों और बंधकों को गोली की आवाज सुनाई दी. आतंकी सतर्क हो गए और उन्होंने अपनी बंदूकें तान दीं. नेतन्याहू अब भी अपने टार्गेट से 150 फीट दूर थे. उन्होंने अपने कमांडो को आदेश दिया कि वो गाड़ी से उतर जाएं. आतंकियों की गोलियों के बीच नेतन्याहू अपने कमांडो के साथ आगे बढ़े.

‘नीचे झुको, हम इजरायली सैनिक हैं…’

अब इजरायली कमांडो बंधकों को रखे गए टर्मनिल के हॉल में पहुंच चुके थे. उन्होंने जाते ही मेगाफोन पर घोषणा की- नीचे झुको, नीचे झुके… हम इजरायली सैनिक हैं.

लेकिन इसी बीच फ्रांसीसी मूल का एक इजरायली बंधक मारा गया. 19 साल के Jean Jacques Maimoni घोषणा के बावजूद खड़े हो गए जिससे इजरायली कमांडो को लगा कि वो हाइजैकर्स में से एक हैं, और मारे गए. दोनों तरफ से हो रही गोलीबारी में दो अन्य बंधक भी मारे गए. 6 मिनटों तक हुई गोलीबारी में इजरायली सैनिकों ने सभी 7 हाइजैकर्स को मार गिराया. 

इधर, युगांडाई सैनिक भी कंट्रोल टावर से इजरायली कमांडो की तरफ गोलियां बरसा रहे थे. नेतन्याहू छुड़ाए गए बंधकों को लेकर विमान की तरफ बढ़ ही रहे थे कि एक गोली उन्हें आ लगी. हालांकि, उनके भाई इद्दो नेतन्याहू का कहना है कि उन्हें टर्मिनल में ही आतंकियों ने गोली मार दी थी.

तय समय से कम में ही पूरा हुआ ऑपरेशन

ऑपरेशन थंडरबोल्ट में इजरायल का केवल एक कमांडो, योनाथन नेतन्याहू मारे गए और पांच अन्य घायल हुए. युगांडा ने अपने 45 सैनिक खोए. 

हाइजैकर्स से आजाद हुए लोगों की तस्वीर

एंतेबे एयरपोर्ट पर इजरायली सैनिकों को 20 मिनट हुए थे और उन्होंने सभी बंधकों को छुड़ाकर उन्हें प्लेन में बिठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते विमान हवा में था.

प्लान के मुताबिक, रेस्क्यू ऑपरेशन 1 घंटे में खत्म किया जाना था लेकिन इजरायली कमांडो ने इसे 58 मिनट में ही अंजाम दे दिया. यह ऑपरेशन इजरायल के इतिहास का सबसे साहसी ऑपरेशन माना जाता है जिसके बाद से दुनिया में मोसाद का कद और ऊंचा हो गया. ऑपरेशन के दौरान मारे गए प्रधानमंत्री नेतन्याहू के भाई योनाथन नेतन्याहू को इजरायल में हीरो का दर्जा दिया गया.

Source (PTI) (NDTV) (HINDUSTANTIMES)

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